बिल्किस बानो मामले में दोषियों को छोड़ना न्याय में आस्था कमज़ोर करना एवम् बेटियों का अपमान है

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लखनऊ (उपसंपादक सय्यद गुलाम हुसैन) : अल्पसंख्यक विकास व सशक्तिकरण संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री सैय्यद गुलाम हुसैन ने बिल्किस बानो मामले में उम्र क़ैद की सज़ा पाए 11 दोषियों को गुजरात सरकार द्वारा रिहा कर दिये जाने को न्याय में आस्था को कमजोर करने वाला व बेटियों का अपमान बताया है।

 

अल्पसंख्यक विकास व सशक्तिकरण संस्था के अध्यक्ष ने कहा कि दोषियों को एक निश्चित अवधि तक सज़ा भुगतने के बाद रिहाई की व्यवस्था तो है लेकिन इसका राजनीतिक इस्तेमाल करते हुए जघन्यतम अपराधियों को रिहा नहीं किया जाना चाहिए। इससे गलत नज़ीर बनेगी। बिल्किस बानो मामले में 14 लोगों की हत्या, बिल्किस के साथ सामूहिक बलात्कार और उनके अजन्मे बच्चे की हत्या शामिल थी। जिसे न्याय तभी मिल पाया जब मामले की सुनवाई गुजरात से मुंबई ट्रांसफ़र किया गया क्योंकि गुजरात में उन्हें न्याय नहीं मिल सकता था।

 

सैय्यद गुलाम हुसैन ने कहा कि रिहाई के बाद जिस तरह संघ, भाजपा और अन्य हिंदुत्ववादी संगठनों ने फूल माला के साथ उनका स्वागत किया वो यह भी साबित करता है कि दोषियों और उनके संगठनों में आज भी इस घृणाजनक अपराध के प्रति कोई अपराधबोध नहीं है। जबकि दोषियों को अच्छे व्यवहार के आधार पर राज्य सरकार छोड़ने का दावा कर रही है।

सैय्यद गुलाम हुसैन ने कहा कि ऐसे जघन्य अपराधियों को छोड़ने का निर्णय सुप्रीम कोर्ट द्वारा राज्य सरकार पर छोड़ देना भी सुप्रीम कोर्ट पर विश्वास को कमज़ोर करता है। क्या सुप्रीम कोर्ट को यह तथ्य संज्ञान में नहीं रखना चाहिए था कि बिल्किस को न्याय तभी मिल पाया जब केस दूसरे राज्य में ट्रांसफ़र किया गया।

उन्होंने राज्य सरकार के इस तर्क को कि दोषियों को अपराध की प्रकृति के आधार पर छोड़ा गया है शर्मनाक बताया। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार को बताना चाहिए कि क्या 14 लोगों की हत्या, सामूहिक बलात्कार और भ्रूण को तलवार पर टांग कर मार देने में क्रूरता की कोई कमी रह गयी थी जिसके चलते इन्हें ‘अपराध की प्रकृति’ के आधार पर छोड़ा गया है। सैय्यद गुलाम हुसैन ने कहा कि दोषियों का जेल के बाहर हिंदुत्ववादी संगठनों द्वारा स्वागत किया जाना उनके विचारधारा के अमानवीय और सभ्यता विरोधी मूल्यों को दर्शाता है।

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